चित्रकूट एक बेहद खूबसूरत शहर है। यह जगह उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच विंध्य पर्वत और घने जंगलों से घिरी हुई है। इस जगह पर लोग आध्यात्मिक एनर्जी के साथ-साथ सुकून की तलाश में भी आते हैं। ये स्थान पर्यटन के लिहाज से भी काफी फेमस है। यहां की शांत नदियां लोगों को आकर्षित करती हैं।
चित्रकूट भगवान श्रीराम के लिए जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक श्रीराम ने अपने वनवास के 11 साल यही बिताए थे। चित्रकूट में घूमने के लिए काफी सारी जगह हैं, जिन्हें आप परिवार के साथ एक्सप्लोर कर सकते हैं। आज हम आपको चित्रकूट के कुछ खास टूरिस्ट प्लेस के बारे में बताने जा रहे हैं -
स्फटिक शिला- स्फटिक शिला पौराणिक महत्व के कारण चित्रकूट में सबसे फेमस स्थलों में से एक है। यहाँ भगवान राम और सीता से संबंधित कई जगह हैं, स्फटिक शिला उन जगहों में से एक है। ये शिला उन पॉलिश चट्टानों को संदर्भित करता है जिन पर भगवान राम के पैर की छाप है।
जानकी कुंड- मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित जानकी कुंड, हिंदुओं के लिए एक पवित्र जगह है क्योंकि इसका उल्लेख हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों में भी किया गया है। कहते हैं कि ये वह जगह है जहां देवी सीता अपने निर्वासन के दौरान रोजाना नहाया करती थीं।
रामघाट- हिंदू परंपरा के अनुसार रामघाट एक पवित्र जगह है। ये भी मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है। राम घाट चित्रकूट के सबसे फेमस पर्यटन स्थलों में से एक है, जहां हर दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
गुप्त गोदावरी गुफाएं- चित्रकूट कई शानदार आकर्षणों का घर है, लेकिन गुप्त गोदावरी गुफाएं अपने महत्व के लिए हिंदुओं के बीच मशहूर हैं। कहा जाता है कि भगवान राम और भगवान लक्ष्मण अपने वनवास के दौरान दरबार लगाने के लिए यहां मिले थे। गुफा के प्रवेश द्वार पर ब्रह्मा, विष्णु और शिव की मूर्तियां है।
कामदगिरी- 'कामदगिरी' को लेकर मान्यता है कि वनवास के दौरान भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण जी ने यहां वास किया है. चित्रकूट में किसी भी स्थान से देखे जाने पर यह पर्वत धनुषाकार दिखाई देता है.
हनुमान धारा - यह जगह चित्रकूट के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि जब हनुमान ने लंका को आग लगाई थी तो उसके बाद उन्होंने अपनी पूंछ की आग बुझाने इसी स्थान पर आए थे। पहाड़ी पर बसे इस मंदिर पर जाने के लिए 360 सीढ़ियां बनी हैं।
कालिंजर किला - चित्रकूट के पास बांदा में कालिंजर किला स्थित है। कई राजा महराजाओं ने इस किले पर चढ़ाई करने की कोशिश की लेकिन इसे किसी ने जीत नहीं पाया। पहले यहां चंदेल शासकों का शासन था। यहां झरने और कई ऐतिहासिक मंदिर है। यहां कई चंदेल किले खंडहरों में तब्दील हो रहे हैं।
शबरी वाटरफॉल- शबरी वाटरफॉल मानिकपुर के जंगलों के बीच में है. मान्यता है कि भगवान राम ने शबरी माता से फल खाने के बाद इस स्थान पर स्नान किया था. इसलिए इस स्थान का नाम शबरी मैया के नाम पर पड़ा.यहां बैठकर आँखों को सुकून और मन को शन्ति मिलती है।
भरत-मिलाप मंदिर - चित्रकूट परम कुटीर के पास भरत-मिलाप मंदिर स्थित है। यहां पर भगवान श्री राम के पद चिन्ह आज भी देखने को मिलते हैं। इसी स्थान पर श्रीराम ने अपने अनुज भाई भरत से मुलाकात की थी।
मिनी खजुराहो - चित्रकूट के कर्वी में विनायक राव पेशवा का महल है। यहां से थोड़ी दूर सोनेपुर-कलेक्ट्रेट मार्ग से सिद्धपुर जाने वाले रास्ते पर गणेश बाग स्थित है। यहां मंदिर के अंदर व बाहरी हिस्से में मध्य प्रदेश के खजुराहो की स्थापत्य कला की तर्ज पर मूर्तियां हैं इसलिए इसे 'मिनी खजुराहो' कहते हैं।
तरौंहा किला व झारखंडी माता मंदिर -चित्रकूट के कर्वी जिला मुख्यालय अंतर्गत तरौंहा में यह स्थल है। एक समय यहां के सुर्की सम्राट राजा रामकृष्ण जूदेव के दरबार में बीरबल व तानसेन तक आते थे। कुछ दूर झारखंडी माता का मंदिर है, जहां नवरात्र में बड़ा मेला लगता है।
बाण गंगा - चित्रकूट व बांदा जिले के बॉर्डर पर ग्राम पंचायत खंभरिया अंतर्गत कोल्हुआ जंगल में यह स्थल स्थित है। मान्यता है कि बांदा जिला क्षेत्र महाभारत कालीन राजा विराट की राजधानी ता। पांडवों ने अज्ञातवास में रखे अस्त्र-शस्त्र यहीं पर अर्जुन के तीर से निकली जलधारा से धोए थे।