हरियाणा में अरावली के जगंल, कृत्रिम झील और ऊंची-ऊंची पहाड़ियां दूर से जितना खूबसूरत दिखता है, ये करीब से उतना ही खतरनाक है। आज हम आपको अरावली की एक ऐसी झील के बारे में बताएंगे, जिसकी रहस्यमयी कहानी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
एक तरफ कुछ लोग जहां इसे कुदरत का करिश्मा मानते हैं, तो कुछ उसे अभिशाप कहते हैं। यही कारण है कि प्रकृति के इतने करीब होने के बावजूद यह जगह वीरान रहता है। यहां पर आने से पहले लोग दस बार सोचते हैं। क्योंकि एक बार जो इस झील के अंदर प्रवेश करता है, फिर उसका जिंदा वापस आना किसी चमत्कार से कम नहीं है।
हसीन वादियों में बनी इस झील में अब तक सैंकड़ों लोग अपनी जांन गंवा चुके हैं। झील में हो रही मौतों का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है। यही कारण है अब इस झील को खूनी झील या डेथ वैली के नाम से जाना जाता है।
डेथ वैली झील 7 खदानों का एक संग्रह है। 1990 तक अरावली में खनन का कार्य धड़ल्ले से चला। 1991 में खनन पर सरकार ने रोक लगा दी। जिसके बाद फरीदाबाद-गुरुग्राम रोड किनारे आधा दर्जन से अधिक खदानें भू जल को छू गई और यहां प्राकृतिक रूप से नीले रंग का साफ पानी निकल आया जो धीरे-धीरे झील में तब्दील हो गई।
इन झीलों की गहराई का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल है। यहां की सुंदरता देख साल 1991 के बाद से दिल्ली समेत पूरे एनसीआर के लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने आने लगे। जैसे जैसे यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ी, वैसे ही दुर्घटनाओं का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया।
कभी कोई झील में नहाने के दौरान डूब जाता, तो कोई सेल्फी लेने के चक्कर में इसमें गिरकर अपनी जान गंवा बैठाता। एक अनुमान के मुताबिक, यहां हर साल तीन लोगों की डूबकर मौत होती है। साल 1991 में खनन का काम बंद होने के बाद अबतक करीब 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
डेथ वैली झील में तैरना प्रतिबंधित है और प्रशासन की तरफ से लगातार चेतावनी दी जाती रहती है। बावजूद इसके यहां आने वाले पर्यटक चेतावनी को न सिर्फ नजरअंदाज करते हैं, बल्कि तैरने के लिए झील में उतरकर अपनी जान गंवा बैठते हैं। यह एक निजी संपत्ति है।
अब इसे पर्यटकों के लिए खोल दिया गया है। यहां जीवों से भरपूर इस घाटी में राजपूत काल की ऐतिहासिक संरचनाओं के खंडहर भी देखने को मिलेंगे। स्थानीय लोगों के लिए अब यह जगह एक शानदार पिकनिक स्पॉट बन गई है।गर्मियों के दौरान यहां पर्यटकों की सबसे अधिक भीड़ उमड़ती है।