कुछ योग ऐसे हैं जो के पेल्विक फ्लोर यानी पेड़ू और यूट्रस यानी बच्चेदानी (गर्भाशय) को मजबूत बनाते हैं
इन योग को करने से कंसीव करने से लेकर प्रेग्नेंसी के दौरान और डिलीवरी के समय समस्याएं होने की संभावना काफी कम हो जाती है
तितली आसन महिलाओं के लिए बेहद फायदेमंद हैं. इस योगासन को नियमित रूप से करने से शरीर का निचला हिस्सा टोन होता है और रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है. ये योगा पोज महिलाओं के रिप्रोडक्टिव अंगों को बहुत फायदा पहुंचाता है. वहीं पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं में भी राहत दिलाने में कारगर है.
तितली आसन
महिलाओं के लिए मलासन करना कई तरह की समस्याओं से निजात दिला सकता है. ये पेट के निचले हिस्से की मांसपेशियों को मजबूत बनाने के साथ ही संतुलन को बढ़ावा देता है और यूटीआई इंफेक्शन की समस्या से निजात दिलाने में भी कारगर है.
मलासन
हलासन करने से पेट, पीठ, कंधे और पैरों की मांसपेशियों में लचीलापन आता है. ये आसन थायराइड में फायदा करता है और साथ ही स्ट्रेस को कम करके थकान को कम करने में मदद करता है. इसके अलावा ये आसन महिलाओं के रिप्रोडक्टिव अंगों को भी फायदा पहुंचाता है.
हलासन
महिलाओं को नियमित रूप से पश्चिमोत्तासन का भी अभ्यास करना चाहिए. ये गर्भाशय की मांसपेशियों को फैलाता है. इससे महिलाओं को कंसीव करने में समस्या नहीं आती है, साथ ही ये अनियमित पीरियड की समस्या को ठीक करने में भी सहायक है.
पश्चिमोत्तासन
सेतुबंधासन करने से रजोनिवृत्ति यानी मेनोपॉज के दौरान होने वाली दिक्कतों से राहत मिलने के साथ ही पीरियड्स क्रंप्स में आराम मिलता है. ये आसन रीढ़, कमर, ग्लूट्स, टखनों को मजबूती भी देता है और ये यूट्रस को भी फायदा पहुंचाता है
सेतुबांधासन