आज हम आपको बोलता पहाड़ के बारें में बताने जा रहे हैं. ये पहाड़ बिहार के नवादा के कौआकोल प्रखंड के तरौन गांव के पास
इस पहाड़ के नीचे एक निश्चित केंद्र बिंदु से कुछ भी बोलने के बाद हूबहू वही शब्द वापस सुनाई देता है. इस वजह से इस पहाड़ी को बोलता पहाड़ के नाम से जाना जाता है.
माना जाता है कि पहाड़ी पर उस निश्चित केंद्र बिंदु के पास कोई धातु है. इसके साथ ही इसके बारे में एक और मान्यता है कि रामायण काल में काकभुशुण्डि जी तरुवन के इसी पहाड़ी के पास बैठ कर प्रवच़न किया करते थे.
जिस तरह आज के समय में आवाज को दूर तक पहुंचाने के लिए माइक और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जाता है. ठीक उस तरह ही काकभुशुण्डि जी की आवाज को दूर-दूर तक पहुंचाने का काम यह पहाड़ी करता था
बोलता पहाड़ पर आने के लिए नवादा से बस द्वारा सीधे कौआकोल पहुंचकर वहां से पैदल या निजी वाहन से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी तय कर यहां पहुंचा जा सकता है
एक तरफ ये पहाड़ जहां अदभुत आवाज के लिए प्रसिद्ध है वहीं पहाड़ी पर दुर्लभ जड़ी-बूटी भी उपलब्ध है. आयुर्वेद के जानकार यहां से जड़ी-बूटी ले जाते है.
इस पहाड़ की बनावट भी दूसरे पहाड़ों से अलग है. यहां चट्टान एक दूसरे पर इस कदर रखे हुए हैं जैसे हाथ लगाते ही नीचे गिर जाएंगे.