हजारों साल पहले ऐसे भारत में आयी खीर
हमारे देश में हर खुशी के मौके पर या व्रत-त्योहार पर खीर बनने की परंपरा है
इसका नाम संस्कृत के क्षीर शब्द से खीर बना है जिसका मतलब होता है दूध
खीर के बारे में जानना हो तो 400 ईसा पूर्व के बौद्ध और जैन ग्रंथों को पढ़ना होगा
स्वाद के साथ-साथ सेहत के लिए भी खीर फायदेमंद है
खीर की लोकप्रियता रोम और फारस तक में फैली है
रोमवासी तो पेट को ठंडक पहुंचाने के लिए खीर खाते थे
अलग-अलग जगहों पर खीर को हल्के-फुल्के बदलाव के साथ बनाया जाता है
पर्शिया में खीर को फिरनी नाम से जाना जाता है
चीन में इस डिश को शहद में डुबोए हुए फलों के साथ सजाकर सर्व किया जाता है
ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ गौतम ने अपना सुदीर्घ उपवास सुजाता नामक कन्या द्वारा अर्पित खीर से तोड़ा था
अवध के बावर्ची लहसुन की खीर बनाते थे
महात्मा गांधी ने चंपारण में आश्रमवासियों को अपने हाथ से पकाकर आटे की खीर खिलाई थी