हरियाणा। SYL की तीसरी बैठक में पंजाब सीएम ने पानी देने से साफ़ साफ़ मना कर दिया है। दरअसल कल यानि गुरुवार को पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना लिंक नहर बनाने के मुद्दे पर तीसरी बैठक हुई जिसमें कोई हल नहीं निकला। पंजाब के सीएम भगवंत मान ने पानी देने से मना करते हुए कहा कि पंजाब के पास किसी अन्य राज्य को देने के लिए एक बूंद भी अतिरिक्त पानी नहीं है। हरियाणा ने पानी के बंटवारे से अलग नहर निर्माण पर जोर दिया तो पंजाब ने नहर के निर्माण और पानी के बंटवारे से इनकार कर दिया। अब इस इस बैठक की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जाएगी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला देगा।
बैठक में पंजाब-हरियाणा के उच्चाधिकारी भी शामिल
जानकारी के अनुसार केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की अध्यक्षता में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ एक घंटे से भी अधिक समय तक चली बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में मैं कह रहा हूं कि हमारे पास किसी को बांटने के लिए पानी नहीं है। सीएम मान बोले कि उसने बैठक में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को इस बारे में अवगत कराया है कि हम अपने पहले रुख पर कायम हैं कि हमारे पास पानी नहीं है। मान ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री का कहना था कि वह पानी की बात नहीं करने आए, पंजाब पहले एसवाईएल नहर बना दे, उसके बाद देखेंगे। मान ने कहा कि जब हमारे पास देने को पानी ही नहीं है तो नहर बनाने का क्या फायदा। इस बैठक में पंजाब और हरियाणा के उच्चाधिकारी भी शामिल थे।
एसवाईएल बनाने का कोई औचित्य नहीं
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा के पास पानी के लिए कई चैनल हैं। यमुना-शारदा लिंक से उन्हें पानी मिलता है, जबकि पंजाब के पास सतलुज दरिया अब एक नाले में तब्दील हो चुका है। तय शर्तों के अनुसार पंजाब को 52 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) पानी मिलना चाहिए लेकिन इस समय केवल 14.5 एमएएफ पानी ही मिल रहा है। भूजल भी 600-700 फुट तक गिर चुका है और पंजाब डार्क जोन में है। जिस हॉर्सपावर की मशीन से आज पंजाब को जमीन से पानी निकालना पड़ रहा है, उतनी गहराई से दुबई में जमीन से तेल निकाला जाता है। उन्होंने दोहराया कि एसवाईएल बनाने का कोई औचित्य नहीं है।
पत्रकारों से बोले भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री मान ने गुरुवार को एसवाईएल के मुद्दे पर बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि पंजाब का पांच एमएएफ पानी दिया जा रहा है लेकिन यह पानी जम्मू-कश्मीर में चिनाब से रावी में आता है। उन्होंने कहा कि पंजाब से पाकिस्तान को पानी नहीं दिया जा रहा। उन्होंने यह भी कहा, वैसे जब इस साल बाढ़ आई, हमने हरियाणा से पूछा था कि क्या पानी की जरूरत है? उन्होंने इन्कार कर दिया। तो क्या हम सिर्फ डूबने के लिए हैं। मान ने कहा कि हमने वाईएसएल (यमुना-सतलुज लिंक) फॉर्मूला दिया है।
मान हैं कि मानते नहीं: मनोहर
पत्रकारों से बातचीत करते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब के सीएम भगवंत मान हैं कि मानते ही नहीं। उन्होंने कहा कि हरियाणा को अनुबंध के अनुसार पानी नहीं मिल रहा है। ऐसे में फसलों को नुकसान पहुंच रहा है। माइक्रो इरीगेशन की पद्धति अपनाकर हरियाणा पानी का मैनेजमेंट कर रहा है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने भी हरियाणा के इस प्रयास की तारीफ की है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि आज तक हमारे हिस्से के पानी को पाकिस्तान को दिया गया है
पंजाब का 70 फीसदी हिस्सा डार्क जोन में
दूसरी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब का 70 फीसदी हिस्सा डार्क जोन में आ चुका है। पंजाब के पास जब देने के लिए पानी ही नहीं है। इसलिए नहर के निर्माण का कोई औचित्य नहीं है। जब पानी को लेकर समझौता हुआ था तब पंजाब के पास पानी था, लेकिन आज पंजाब के पास पानी नहीं है। पंजाब सरकार लगातार जल आपूर्ति की स्थिति में सुधार को लगी हुई है। वर्तमान हालातों में न नहर का निर्माण पंजाब के हक में है और न ही जल बंटावारा पंजाब को मंजूर है। हरियाणा के आरोपों को निराधार करार देते हुए भगवंत मान ने कहा कि पाकिस्तान को एक बूंद भी पानी नहीं जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट करेगी फैसला
मुख्यमंत्री मान ने कहा कि इस मामले में पंजाब चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखेगा। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट फाइल करेंगे। दुनियाभर में प्रत्येक 25 साल बाद रिपेरियन मामलों की समीक्षा होती है लेकिन पंजाब के मामले में केंद्र सरकार ने कभी इसकी समीक्षा नहीं की। मुख्यमंत्री ने कहा कि चिनाब से रावी तक इंडस समझौता था, जिसके तहत चिनाब से रावी के बीच एक सुरंग बनाई जानी थी, जिसके जरिये पांच एमएएफ पानी पंजाब को मिल सकता था लेकिन केंद्र सरकार ने आज तक उस सुरंग का निर्माण नहीं कराया।