Ganga Water : गंगा नदी (Ganga River) भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक है, जिसका भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान है। गंगा नदी का जल, जिसे गंगाजल (Ganga Water) कहा जाता है, सालों तक खराब नहीं होता और इसका ताजगीभरा गुण आज भी एक रहस्य बना हुआ है। गंगाजल की शुद्धता और लंबे समय तक इसके खराब न होने के पीछे कई वैज्ञानिक और धार्मिक कारण हैं। आइए, इसे विस्तार से समझते हैं।
गंगाजल की शुद्धता का वैज्ञानिक आधार
गंगाजल के खराब न होने का पहला बड़ा कारण इसमें पाए जाने वाले बैक्टीरियोफेज (Bacteriophage) हैं। ये विशेष प्रकार के वायरस होते हैं जो पानी में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म कर देते हैं।
नेशनल एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (NEERI) द्वारा की गई रिसर्च के अनुसार, गंगा नदी के पानी में ये बैक्टीरियोफेज प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करते हैं, जिससे पानी हमेशा शुद्ध और सुरक्षित बना रहता है।
ऑक्सीजन से भरपूर है गंगाजल
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा नदी का पानी अन्य नदियों के मुकाबले अधिक ऑक्सीजन युक्त होता है। यह गुण गंगाजल को लंबे समय तक खराब होने से बचाता है। हरिद्वार (Haridwar) और ऋषिकेश (Rishikesh) जैसे ऊपरी क्षेत्रों में गंगा के पानी में ऑक्सीजन का स्तर सबसे अधिक होता है। इसी कारण वहां का गंगाजल धार्मिक अनुष्ठानों में प्रमुखता से उपयोग होता है।
गंगा जल का धार्मिक महत्व
हिंदू धर्म में गंगा नदी को देवी का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि गंगाजल में स्नान करने और इसे घर में रखने से पापों का नाश होता है। साथ ही, गंगाजल को पूजा-पाठ, यज्ञ और अन्य धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है। इसे घर में रखने से सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) और शांति का वातावरण बना रहता है। मरते समय इसे पीने से “मुक्ति” प्राप्त करने की भी मान्यता है।
गंगाजल के फायदे
1. शुद्धता और स्वच्छता: गंगाजल में बैक्टीरिया पनप नहीं पाते, जिससे यह लंबे समय तक खराब नहीं होता।
2. औषधीय गुण: प्राचीन काल में गंगाजल का उपयोग औषधि के रूप में किया जाता था। यह पेट की समस्याओं को दूर करने में सहायक है।
3. सकारात्मक ऊर्जा: घर में गंगाजल रखने से वातावरण पवित्र और शांतिपूर्ण रहता है।
4. धार्मिक उपयोग: पूजा, अभिषेक और अनुष्ठानों में गंगाजल का उपयोग शुभ माना जाता है।
गंगाजल की शुद्धता और खराब न होने का कारण इसमें मौजूद बैक्टीरियोफेज और ऑक्सीजन की प्रचुरता है। धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के कारण भी गंगाजल को विशेष दर्जा प्राप्त है। इसकी शुद्धता और औषधीय गुण इसे अन्य जल स्रोतों से अलग और अनोखा बनाते हैं। यही कारण है कि गंगा नदी को “जीवनदायिनी” कहा जाता है।